RBI : भारत का रिजर्व बैंक नियमों को लागू करने और उनमें बदलाव करने का कार्य करता है। हाल ही में, आरबीआई ने क्रेडिट स्कोर से जुड़े नियमों में परिवर्तन किया है। सिबिल स्कोर को सही बनाए रखना एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। CIBIL यानी क्रेडिट स्कोर का कर्ज लेते समय बहुत महत्व होता है।
अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है और आप सभी शर्तें पूरी करते हैं, तो आपको जल्दी लोन मिल जाएगा। लेकिन अगर आपका क्रेडिट स्कोर खराब है, तो आपको क्रेडिट कार्ड या कर्ज पाना मुश्किल हो सकता है। बैंक और एनबीएफसी अक्सर मना कर देते हैं।
आपकी जानकारी के लिए, रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए सिबिल स्कोर के नए नियम लागू कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह घोषणा की।
आपको बताना है कि रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए सिबिल स्कोर के नए नियम लागू कर दिए हैं। हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी जानकारी दी। नए नियम का क्या मतलब है और यह ग्राहकों और बैंकों पर कैसे असर डालेगा ?
अब 15 दिन में अपडेट होगा CIBIL स्कोर
केंद्रीय बैंक ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनके अनुसार सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग संस्थाओं को हर 15 दिन में ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर अपडेट करना होगा। उन्हें हर दो हफ्ते में क्रेडिट जानकारी कंपनियों को ग्राहकों की क्रेडिट स्थिति और उनके भुगतान की समयबद्धता के बारे में जानकारी भेजनी होगी। CIC इस डेटा को तुरंत अपडेट करेगा। इससे बैंकों और ग्राहकों दोनों को फायदा होगा और पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
बैंक के ग्राहकों का सिबिल स्कोर हर महीने की 15 तारीख और महीने के आखिरी दिन बदल सकता है। क्रेडिट संस्थान और जानकारी देने वाली कंपनियां 15 दिन के भीतर अपने डेटा को अपडेट करने के लिए अपनी पसंद की तारीख चुन सकती हैं।
इन नए नियमों से मिलेगा फायदा
हाल ही में आरबीआई ने जो नए नियम बनाए हैं, वे बैंकों और ग्राहकों दोनों के लिए लाभकारी होंगे। जल्दी ही क्रेडिट स्कोर के अपडेट से बैंक और NBFC यह तय कर सकेंगे कि किसे लोन देना है और किसे नहीं। अगर कोई ग्राहक 15 दिन के अंदर लोन पर डिफॉल्ट करता है, तो यह तुरंत पता चल जाएगा।
इसके अलावा, ग्राहकों को इन नियमों का फायदा होगा क्योंकि अब उनके क्रेडिट स्कोर जल्दी अपडेट होंगे। इससे उन्हें लोन लेने से पहले अपने खराब क्रेडिट स्कोर के बारे में जानकारी मिलेगी, यानी वे जान सकेंगे कि उनका क्रेडिट स्कोर सुधर रहा है या नहीं। साथ ही, अच्छे क्रेडिट स्कोर का मूल्यांकन अधिक निष्पक्ष होगा और उन्हें कम दरों पर कर्ज मिल सकेगा।
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