Gold Rate: सोने की कीमतों और मांग में हाल ही में देखे गए उतार-चढ़ाव ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझें।
इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती का प्रभाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 23 जुलाई को पेश किए गए आम बजट में सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने का ऐलान किया गया। इससे सोने की कीमतों में तत्काल गिरावट देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप बाजार में सोने की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा गोल्ड इम्पोर्ट
इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी और त्योहारी मांग के कारण अगस्त में सोने का आयात दोगुने से भी अधिक होकर 10.06 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले साल की इसी अवधि में हुए 4.93 अरब डॉलर के आयात से काफी अधिक है।
इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती का उद्देश्य
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के अनुसार, सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी में भारी कटौती का मुख्य उद्देश्य सोने की तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को कम करना था। सरकार ने शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया।
भारत का सोना आयात
भारत सोने का सबसे अधिक आयात स्विट्जरलैंड से करता है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) 16 प्रतिशत से अधिक और दक्षिण अफ्रीका लगभग 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ आते हैं।
व्यापार घाटे पर प्रभाव
सोने के आयात में वृद्धि ने देश के व्यापार घाटे को अगस्त में बढ़ाकर 29.65 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया है। यह आंकड़ा भारत की आर्थिक स्थिति पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
वर्तमान सोने की कीमतें
17 सितंबर को 24 कैरेट सोने का रेट 200 रुपये से अधिक गिरकर 73,276 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। इसी तरह, चांदी की कीमत भी लगभग 800 रुपये गिरकर 87,537 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।
सोने की कीमतों और मांग में देखे गए इस उतार-चढ़ाव ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई तरह से प्रभाव डाला है। इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती ने एक तरफ जहां सोने की मांग को बढ़ाया है, वहीं दूसरी ओर इसने व्यापार घाटे को भी बढ़ाया है। यह स्थिति भारत सरकार के लिए एक संतुलन बनाने की चुनौती प्रस्तुत करती है, जहां उन्हें सोने की तस्करी को रोकने के साथ-साथ देश के आर्थिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है।
आने वाले समय में, त्योहारी सीजन के दौरान सोने की मांग में और वृद्धि की संभावना है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति और सरकार की नीतियों का इस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए यह समय सोने के बाजार पर नजदीकी नजर रखने और सावधानीपूर्वक निर्णय लेने का है।