Gold Prices: सोमवार को दिल्ली के बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई। सोने की कीमत 700 रुपये घटकर 73,500 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई, जबकि चांदी की कीमत 2,000 रुपये की भारी गिरावट के साथ 83,800 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई।
गिरावट के कारण
इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं:
1. वैश्विक बाजार का प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमती धातुओं की कीमतों में कमी आई है, जिसका सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ा है।
2. स्थानीय मांग में कमी: घरेलू स्तर पर आभूषण विक्रेताओं की ओर से मांग कम रही है।
3. औद्योगिक मांग में कमी: द्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की तरफ से भी मांग कम रही है।
4. अमेरिकी आर्थिक आंकड़े: अमेरिका में रोजगार के आंकड़े उम्मीद से कम रहे हैं, जिसने बाजार में अनिश्चितता पैदा की है।
वैश्विक परिदृश्य
वैश्विक स्तर पर, कॉमेक्स में सोना 0.07 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 2,522.90 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। हालांकि, चांदी की कीमतों में मामूली बढ़त देखी गई है और यह 28.44 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही है।
विशेषज्ञों की राय
विभिन्न वित्तीय संस्थानों के विशेषज्ञों ने इस स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए हैं:
1. एचडीएफसी सिक्योरिटीज: सौमिल गांधी के अनुसार, अमेरिकी रोजगार आंकड़ों ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है।
2. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज: मानव मोदी का कहना है कि व्यापारी अमेरिकी मैक्रोइकॉनोमिक डेटा का इंतजार कर रहे हैं।
3. कोटक सिक्योरिटीज: कायनात चैनवाला के मुताबिक, मंदी की चिंताओं के बावजूद सोना स्थिर बना हुआ है।
4. आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स: मनीष शर्मा का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आगामी फैसले कीमती धातुओं की कीमतों की दिशा तय करेंगे।
अमेरिकी नीतियों का प्रभाव
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन ने वित्तीय प्रणाली के लिए किसी खतरे से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था “सॉफ्ट लैंडिंग” पर पहुंच गई है, भले ही रोजगार वृद्धि धीमी हो रही हो।
भविष्य की संभावनाएं
सोने की कीमतों का भविष्य काफी हद तक अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दरों में कटौती के फैसले पर निर्भर करेगा। व्यापारी इस सप्ताह जारी होने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति और उत्पादक मूल्य सूचकांक (पीपीआई) के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।
सोने और चांदी की कीमतों में आई यह गिरावट वैश्विक और घरेलू कारकों का मिश्रित परिणाम है। हालांकि कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है, लेकिन लंबी अवधि में कीमती धातुओं की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करेंगी, जिनमें वैश्विक आर्थिक स्थिति, मुद्रास्फीति, और केंद्रीय बैंकों की नीतियां प्रमुख हैं। निवेशकों और उपभोक्ताओं को इन कारकों पर नजर रखते हुए अपने निर्णय लेने चाहिए।