RBI ने EMI भरने वालों को दी राहत, 1 जनवरी से लागू हो गए नए नियम RBI New Guideline

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RBI New Guideline: 1 जनवरी 2025 से RBI की नई गाइडलाइंस खेल में आ चुकी हैं! अब Penalty Charges और Penal Interest पर सख्त लगाम लगेगी। ये बदलाव ग्राहकों को बेवजह के चार्जेज से बचाने और बैंकिंग को और भी पारदर्शी बनाने के लिए लाए गए हैं।

जनवरी 2025 से RBI की नई गाइडलाइंस लागू हो चुकी हैं! अब बैंक और NBFCs लोन अकाउंट्स पर Penalty Charges और Penal Interest मनमाने ढंग से नहीं लगा पाएंगे। इस कदम का मकसद ग्राहकों को राहत देना और बैंकिंग सिस्टम को और पारदर्शी बनाना है। ये गाइडलाइंस वित्तीय संस्थानों की अनुचित शुल्क वसूलने की आदत पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा और जरूरी कदम मानी जा रही हैं।

नए नियम का उद्देश्य

इस नियम का मकसद साफ है – लोन भुगतान में देरी पर ग्राहकों से सिर्फ ‘उचित’ चार्ज लिया जाए। अब बैंक और NBFCs डिफॉल्टर्स से मनमाने तरीके से पेनल्टी वसूल नहीं कर पाएंगे। ये RBI का बड़ा कदम है, जो वित्तीय सिस्टम को और अनुशासित और पारदर्शी बनाने की दिशा में काफी अहम साबित होगा।

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उचित’ डिफॉल्ट चार्ज

RBI की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, ‘उचित’ डिफॉल्ट चार्ज का मतलब है कि ग्राहक से केवल चूकी गई राशि (यानी जो समय पर नहीं चुकाई गई) पर ही चार्ज लिया जाएगा। यह चार्ज किसी भी हाल में मूलधन या अन्य राशि पर नहीं लगाया जाएगा। 

गौरतलब है कि 18 अगस्त 2024 को पेश किए गए संशोधनों के आधार पर इन नियमों को अप्रैल 2025 तक लागू करने का समय दिया गया था, जो अब पूरी तरह अमल में आ गया है।

पेनल्टी चार्ज की सीमाएं

RBI ने पेनल्टी चार्ज की सीमा और उसके गणना के तरीके को भी साफ कर दिया है। अब बैंक और NBFCs किसी भी हाल में अनुचित या मनमाना शुल्क नहीं लगा सकते।

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ये नियम खासतौर पर उन मामलों पर लागू होंगे, जहां लोन अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होने पर बैंकों द्वारा मनमाने दंडात्मक शुल्क वसूले जाते थे। अब यह सब नियंत्रित रहेगा, ताकि ग्राहकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाया जा सके।

जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों सख्त नियम

अगर आप सोच रहे हैं कि जानबूझकर लोन न चुकाने वालों को राहत मिलेगी, तो ऐसा नहीं है। इन गाइडलाइंस का फायदा सिर्फ ईमानदार ग्राहकों को मिलेगा। जानबूझकर लोन न चुकाने वालों के खिलाफ सख्ती जारी रहेगी।

इसके लिए भारतीय बैंक संघ (IBA) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा लिमिटेड (NESL) एक डिजिटल सिस्टम तैयार कर रहे हैं। इस सिस्टम की मदद से डिफॉल्टर की पहचान जल्दी होगी और उनके खिलाफ कार्रवाई भी तेजी से की जाएगी।

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बड़े लोन में डिफॉल्ट का मुद्दा

NESL के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 10 से 100 करोड़ रुपये के लोन में डिफॉल्ट के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। यही वजह है कि RBI की नई गाइडलाइंस इस समस्या को हल करने में एक बड़ा कदम साबित होंगी।अब बैंकों के पास डिफॉल्टर को पहचानने और कार्रवाई करने के लिए एक तेज़ और प्रभावी सिस्टम होगा। इससे न सिर्फ डिफॉल्ट की घटनाओं पर लगाम लगेगी, बल्कि वित्तीय संस्थानों को भी राहत मिलेगी।

 

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